जहाँ है गंगा की धारा।
जिस जगह पर रहे हो,
जहाँ है बच्चपन गुजारा।।
पर आज क्यों नही यह कहते,
कि ये आशियाना है हमारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
ब्रह्मण कुल है एक मन्दिर,
जो है सबसे प्यारा।
ब्रह्म ज्ञान है इसके अंदर,
जो है जीवन से न्यारा।।
अगर छोड दोगे खुद्ही तुम इसको,
तो तुमे किसका होगा सहारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
देख दुसरों को तुमने भी,
माँस भक्ष्ण को अपनाया।
मदिरा पान किया तुमने भी,
अपनी सभियता को दुदकारा।।
जब डूबेगी नावं पाप समंद्र मे,
तो कैसे मिलेगा किनारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
जो दुश्मन हो जाए भाई-भाई का,
टूट जाएगा हमारा सहारा।
राज करेगा तुम पे वो दुश्मन,
ये तो है उनका ईराधा।।
बनो न दुश्मन अपने,
ना भूलो वो भाई प्यारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
क्या रखा है मदिरा,माँस मे,
जो है पाप का आधारा।
जो हो जाए ये जीवन नष्ट,
फ़िर जाता न सवारा।।
न छोडना ब्राह्म ज्ञान को,
यह मिलता है मुश्किल से दोबारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
'विनय''राजन' है कह रहे,
समझो उन का ईशारा।
हो जाएं हम सब ईकठ्ठे,
बने एक-दूसरे का सहारा।।
कोई ऊंचा हमे न देख सके,
हो शक्तिपुंज यह परिवार हमारा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
बन जाएं हम शान इसकी,
इसको है ऊंचा उठाना।
भाई-भाई का न हो वैरी,
हमे जाने सारा जमाना।।
उज्जवल हो हमारा भारत,
हमे यह है कर दिखाना।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
करे हम यह ओअम् से वंदना,
कि हम मे ओअम् का वास हो।।
हो उज्जवल कुल हमारा,
पुरी हमारी हर आस हो।।
जिस कुल मे जन्मे है हम,
उस मे सदा प्रकाश हो।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _
कर तेरी वंधना हे शिवा,
बन शक्ति रूप जाएं हम।
आपस मे प्रेम का कर गठन,
दुश्मनो को भगाएं हम।।
राजन तुम्हारा भक्त है,
सदा करना कृपा मुझ पे शिवा।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _ _
हे परशुराम कर रहम हम पे,
हमारे मन मे गुणों का प्रकाश हो।
धुल जाए मन का वो हर कोना,
यहाँ अवगुणो का वास हो।।
विनय याचना है कर रहा,
अपराध हर मेरा माफ़ हो।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है_ _ _ _
बढ़ उठे हमारा हर भाई,
जीवन मे सबके प्रकाश हो।
मिट जाए अंधकार सारा,
ब्रह्मित्व का प्रकाश हो।।
इस कलयुग मे पाप का वध करने,
ओअम् का एक और अवतार हो।।।
जिस गोद मे जन्म लिया है,
उस गोद मे सदा प्रकाश हो।।।।।।।।।।।
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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