मैं यूं बैठा था कुछ सोच रहा था मन में, कि कैसे एक पंछी उड़ रहा था गगन में |
देख कर उसकी काया, हो गया था मगन मैं,मन करे उड़ने को मेरा भी, बन जाऊं पतंग मैं ||
मैं यूं बैठा था सोच में ...................
न जाने कियों राह देखूं , बार बार मैं, यूं कर रहा हूँ किसी का इन्तेजार मैं |
कभी चलूँ , कभी अश्क बहाऊँ, कभी दर्द दिल में शुपाऊँ मैं ||
यूं कियों बैठा अश्क बहाऊँ मैं ..................
मैं उठा चला अपनी ही तलाश में, खोजने अपनी ही औकाद मैं |
चार कदम उठाए जो आगे मैंने, गिरा खुदा तेरे ही आवास में ||
मैंने जब उठना चाहा अपने क़दमों पे ...............
खुदा तूँ है लीला धारी, कर बैठा कैद कियों जान हमारी |
बना राजन का रूप अनोखा, करें दूर मुश्किल हर बारी बारी ||
खुदा तूँ कर रहमत अपने बन्दों पे ...................
जीवन की शिवा दे राह ऐसी , कि जीवन में स्वाभिमान हो |
बना मुझे भी दे तूँ राजन जैसा, कि हासिल हर मुकाम हो ||
खुदा दे शक्ति अपने इस बच्चे को ......................
खुदा लोग तुझे खोजें मंदिर – मस्जिद में, मेरे दिल में तेरा सदा वास हो |
मेरे लिए तो बड़े भाई राजन हो तुम, हो तुम वहाँ जहाँ विश्वास हो ||
खुदा तुम मेरे सदा पास हो .........................
मैं परिंदा बना ख्वाहिशों का, लो द्वार तुमारे आया हूँ |
हसूँ, मरूं तेरे हाथों में , ये फरियाद ले कर आया हूँ ||
मैं परिंदा बन चरणों में शीश लाया हूँ ......................
मैं उड़ता उड़ता पहुंचा गया, अपने ख्वाबों के महल में |
कितनी शान्ति मिली है मुझको, आपकी गोद के दो पल से ||
कि ख्वाब ऐसे पूरे होते है दो पल में .....................
ज़माना पूछता है कब जन्मा खुदाया, तो मैंने सारे जहाँ को बताया |
२ नवम्बर तारिक है आज, तो देखो मेरा खुदा आया मेरा खुदा आया ||
मैं जो बैठा कुछ सूच रहा था ..............................
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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