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Ghar Apne Jana Hai

 
मैं उठा सोम किया सलाम घर अपने को,
टूटे जो आ जहाँ, सम्भालूँ हर सपने को |
या खुदा क्या करूं, न साथी किसी को यहाँ जाना है,
चल छोड शहर बेगाना, आज घर वापिस अपने जाना है ||

अश्क बहे पर संभाला बड़ी मुश्किल से,
न चाह कर भी रहा न खुश दिल से |
याद आए माँ हर पल तेरी, आज वो छांव फिर पाना है,
चल छोड शहर बेगाना, आज घर वापिस अपने जाना है ||

आज याद पापा का साथ आ रहा,
दूर खड़ा बड़ा भाई बुला रहा |
भाभी कि हर डांट फिर हस कर गले लगाना है,
चल छोड शहर बेगाना, आज घर वापिस अपने जाना है ||

झूठ बोला कि मुझे साथ था मिल गया,
अकेले रह कर था पूरा पिघल गया |
कोई न पूछे हाल यहाँ पर, फिर वापिस न कभी आना है,
चल छोड शहर बेगाना, आज घर वापिस अपने जाना है ||

चल चल अकेले इन सुनसान राहों पर,
याद आए काफिला वो यारों का,
हों जो साथ तो लगे, हर मौसम बहारों का |
जब पहुंचा घर अपने, यारों ने फिर शहर घुमाना है,
चल छोड शहर बेगाना, आज घर वापिस अपने जाना है ||

याद आए हबीब हर दम ज़ज्बातों में,
खोजूं तुझे चाँद में, जान करूं बातें रातों में |
जो महसूस किया बिना देखे उनको, एक गीत में बताना है,
चल छोड शहर बेगाना, विनय घर वापिस अपने जाना है ||



© Viney Pushkarna

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