हर साल यारो का मेला इस साल कम होगा,
कहीं चलते थे गाने आज पला गम होगा |
न देना इस बार तौफा बधाई का, कि इस बार है गम और रुसवाई
माफ करना यारो इस बार तारिक २४ नहीं आई
यारों के सन्देश आने शुरू हो गए,पर हम तो ग़मों कि खाई में खो गए |
न कोई खुशी न कोई हर्ष है, बस फैली है चारों ओर तन्हाई
माफ करना यारो इस बार तारिक २४ नहीं आई
न जाने कहाँ खो गए वो यार पुराने, कब आ मिलंगे खुदा ही जाने |
बचा ऐ खुदा सब सपनों को, कियो बढ़ती ही जाये रिश्तों में महंगाई
माफ करना यारो इस बार तारिक २४ नहीं आई
माँगू शमा आज सब अपनों से, न दे पाऊँगा इस बार लम्हे खुशी के |
खुशी तो दस्तक दिए बिना चली न नपे नापे चोटों कि गहराई
माफ करना यारो इस बार तारिक २४ नहीं आई
न देना आँसू आखों में दे कोई दुआ, न पूछना दास्ताँ दिल है टुटा हुआ |
एक लफ्ज़ तोड़ हमें देगा, ऐसी खुदा ने है तख्दीर बनाई
माफ करना यारो इस बार तारिक २४ नहीं आई
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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