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Jaan Ka Didaar

 
आज के बोल चाहे मेरे प्यार को समर्पित हैं, पर एक लफ्ज़ दोस्त से उदार लिया है,
हर दोस्त देगा साथ मेरा आज, कि हर दोस्त से दोस्ती भरा प्यार लिया है |
हो सकता है कि कहीं कोई दोस्त छूट जाये, ना समझना कि मने खुद्दार किया है,
यार ये कविता लिख रहा हूँ जान के लिए, इसमें मैंने इशार किया है ||

वो बच्पन वो यारों का मेला,
ना है भूले पल यारों संग खेला |
दया नन्द कि यादों को उडेला,
सुरिंदर, सुमित, विकास यादों की बेला ||
जैसे कक्षा का वो हर दिन बना बहार होता है,
प्यार में हर तरफ जनाब जान का दीदार होता है|
सीखा बहुत २००० से तक,
हर साथी चला साथ आज तक |
सागर की यारी रही साथ हर वक्त.
भूलाए ना भूले एहसान इस मस्तक  ||
जैसे सीखना हर पुतले का किरदार होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब जान का दीदार होता है |
चंद साथ मिले शहर बेगाने से,
मिले मल्किंदर, महताब दोस्त मस्ताने से |
हर जगह हाथ पकड़ साथ चलते थे मेरे,
ना छूटे आज भी साथ पगलों के, विदेश चले जाने से ||
आज जानूं संग दोस्तों रिश्तों का हर त्यौहार होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |
धूल डाली आँखों में, तीन साल घूम कर,
साथ रखूँ मंदीप तेरी यारी को चूम कर |
जब दिया ना साथ मुसीबत पड़ जाने पर किसी ने,
आते थे वापिस मेरे ही बोले लफ्ज़ गूँज कर ||
आज जानूं की इस गूँज से इंसान फौलाद होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |
खुदा ने एक बिछड़ा साथी मिलाया है,
देखो अमित हसीं की पिटारी लाया है |
आज सौरव ने ये जनाब शब्द सुनाया है,
तब जा मरजाना विनय लिख पाया है ||
मैं जानूं की हर लफ्ज़ पर कितना ऐतबार होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |
ना भूला चंद दोस्त छोड गए जो मुझको,
खुदा बता क्या कहूँ उनके बारे मैं तुझको |
हर पल साथ खड़ा जो वरुण है उसको,
आज पार हर मंजिल कराना है तुझको ||
यार की हर खुशी से ही सुखों का आगाज़ होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |
आज बिकते है आँसू , जहाँ मोल कौड़ी के,
पंख लगाओ तुम, जो हों आयु थोड़ी के |
जैसे मिलता ना मोल, तराजू मोड़ी के,
क्या करना याराना यार बिना, जैसे टांगा घोड़ी के ||

जा शहर बेगाने देखा रिश्तों का बाज़ार होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |
प्यार जिसे करते हैं उसे जानका नाम दे दिया,
कर हौंसला हमने इस दिल का पैगाम दे दिया |
देंगे हर मोड पर साथ उनका ना अकेले होना,
ऐसा आज वचनों का उन्हें इनाम दे दिया ||
ना होगा कोई और जीवन में, विनय मुलाजेदार होता है,
प्यार में हर तरफ़ जनाब, जान का दीदार होता है |  


जान तेरे कुर्बान लफ्जों की माला, हर दिन हर रात पीऊँ प्रेम प्याला,
तेरे ख्यालों में खोया रहता हूँ हर पल, ना पीऊँ पानी ना खाऊँ निवाला |



© Viney Pushkarna

pandit@writeme.com

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