आज रात मैंने देखा एक सपना,
चूमूं कदम जिसके है खास अपना |
है ख्वाहिश कि कर दूं हर सांस नौशार उनपे,
बना खुदा किया शुरू तेरा नाम रटना ||
मिटा खुदी को दूं उन्हें सुनेहरे सवेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
याद है आज भी वो तुम्हें सपनों में ढूँढना,
जो आती है याद नम् आँखों को मूंदना |
जब चाहत में आँखें दीदार को तरसीं,
लिख कविता और तन्हाइयों में गूंजना ||
खुदा वो गूँज प्यार कि कर गई सांसो में बसेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
महज़ पसंद करना तो है हर जवान की हसरत,
पर तुम्हें सांस बनाया है उस खुदा की कुदरत |
है तम्मना जीने की है सांस है साथ जब तक,
क्या फ़ायदा जीने का बिन सांस लिए शोहरत ||
खुदा तुम्हीं हो जो नाम लबों पर है मेरे.
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
रहेगा इन्तेजार तेरा इस पुतले बेजान को,
माना है संगिनी रख साक्षी बागवान को |
खुदा जाने है जरूरत कितनी इस इंसान को,
हस देता हूँ देख तेरी छोटी सी मुस्कान को ||
बन साथी कर रौशन हैं जो राह अँधेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
लगी चोट तेरे तो अपना बना लेता हूँ,
पूछें जो दोस्त तो नाम जान मना लेता हूँ |
जो आज मिलाने की रट लगाएं है सारे,
नाम बताने पर लिख कलाम सुना देता हूँ ||
लिखूं जो कविता तो तुम्हीं हो अलफ़ाज़ मेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
याद है आज भी क्या बच्पन में में किया करता था,
ना था पता तो नाम जान लिख लिया करता था |
कक्षा में टीचर की दांत पड़ा करती थी,
फिर भी उन आंसुयों में जहान छुपा लिया करता था ||
वो दिन आज भी आ याद लाएं तेरे वो चेहरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
मैं करता नहीं वादा चाँद तारे तोड़ लाने को,
हाँ मर जऊंगा किया वादा तोड़ निभाने को |
खुद से खुश रखने की है कसम ली मैंने,
ना किया प्यार जूठा ज़माने को दिखने को ||
ना दिखावा, बोलूँ बस सच कारण ही तेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
मुश्किल जो है काफी साथ तुम्हारा चाहिए,
जो सांसें बन जाएँ प्यार ऐसा ही सराहिये |
जब तक हो साथ तुम मेरे सांसे ये चलती रहेंगी,
हर मोड पर मुस्कुराती आवाज से जहान मेह्काइये ||
महकते फूलों को दी खुशबू है इनाम मेरे,
है हर सांस ऐ जान नाम तेरे |||
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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