पड़ रहीं हैं किरणे, इबादत के शोर पर, बढ़ रहा है साहस, मोहोबत्त के जोर पर |
न लफ्ज़ है न साहस है सच कहने का, बोला खुदा लगा बंद तूं अपनी इस सोच पर ||
निकला मैं आज सुनसान राहों पर, ढूँढने एक जवाब सवाल का,
आखिर कियों हैं मन बेचैन, क्या कारण है उठे बवाल का |
घूमते घूमते मैं मंदिर पहुँच गया, हुआ हल मने बेहाल का.
बोले शिवा की बता सच, येही नीव है हर ढाल का ||
तू रख हौंसला कर मंथन हर सुर हर ताल का,
तूं सच्चा प्यार किये जा, मैं लाऊंगा समां कमाल का ..
ऐसे ही बातों बातों में एक बात चल पड़ी,
दोस्ती देखते ही मेरी आँख ढल पड़ी |
क्या सही है यह जब पूछा जब मैंने भोले से,
तब खुद आ बोले कान में मेरे होले से ||
क्या है तेरे दिल में और जानु मुक्कदर तेरे हाल का,
तुं सच्चा प्यार किये जा, मैं लाऊँगा समां कमाल का ..
सोचूँ क्या मैं गलत हूँ क्या झूठा था याराना,
शायद न पाक है, ऐसे उसे दिल में अपने बसाना |
बोले कान्हा न धोखा दिया, तूने जो की चाहत है,
होता न मुमकिन ऐसे अर्जुन को सखा कह पाना ||
न डर मैं बैठा हूँ करने खात्मा हर जाल का,
तूं सच्चा प्यार किये जा, मैं लाऊंगा समां कमाल का ..
बैठा दर पर जो मैं आज भगवान के,
हुए दर्शन आज उसके रचे हर बाण के |
कैसे खेले है खेल दिलों का, हैं निराले खेल शाम के,
दे सबको दिल में अपने जगह, रहे दिल में हर इंसान के ||
बोले प्रेम तेरा सच्च होगा बस सब्र कर क्षण चाल का,
तूं सच्चा प्यार किये जा, मैं लाऊंगा समां कमाल का ..
मिटटी के इस पुतले की, चंद लकीरों से,बने न कोई आशिक, न महफ़िल फकीरों से |
न हो प्रीत प्रवाहे, ज़माने की तस्वीरों से,विनय शुपा अश्क, निकाल सच्च जंजीरों से ||
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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