बादल हो जाएँ प्रेम वाहन,
तो मैं छुप छुप मिलने आ जाऊं ,
हवा चला, कानों में प्रेम राग सुना जाऊं |
है दर्द दूरी का अर्धांगिनी से कितना,
मैं बना बरखा आंसुओं को,
आपके क़दमों में गिरा जाऊं ||
जो बादल हो जाएँ प्रेम वाहन .........
दर्द है जो दिल में होता,
मैं बना ओले दिल बिखरा जाऊं,
सुनसान जो राहें पड़ीं हैं,
मैं ला आँधी फूल सजा जाऊं |
पंडित देखे ये बस जान तुझे,
ऐसी महक प्यार कि फैला जाऊं,
मैं बन साँसे आपमें जो हूँ,
आपको अपनी साँसे बना जाऊं ||
जो बादल हो जाएँ प्रेम वाहन .........
तड तड करती बिजली से,
रौशनी को चुरा जाऊं ,
मिटा अँधेरा इश्क इबादत से,
मैं सारा जहाँ जगमगा जाऊं |
कहते हैं जहाँ में प्यार को इश्क,
मैं आशिक़ बन दिखा जाऊं |
जो रहा फांसला इन साँसों में,
तो साँसे आपकी बाहों में मिटा जाऊं ||
जो बादल हो जाएँ प्रेम वाहन .........
न आँखें खुलें मदहोशी में,
मैं प्रेम जान पिला जाऊं |
एक अरसे से खुद हूँ प्यासा,
आपके लबों से लब लगा जाऊं|
ले कर घहराई आपकी निघाहों से,
और इनमे खुद को समा जाऊं |
हो जाऊं मैं आपका,
और आपको अपना बना जाऊं ||
जो बादल हो जाएँ प्रेम वाहन .........
![]() | © Viney Pushkarna pandit@writeme.com www.fb.com/writerpandit |
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