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Confession

 
खुदा जाने हर रिश्ता है करीब मेरे, बस तेरी दोस्ती भी हो जाए नसीब मेरे |
किया मैंने है खफ़ा दोस्त अज़ीज़ को, लौटा दे, ले आया बन दर फ़कीर तेरे ||



 
माफ करना मैंने तुमको है चोट पहुँचाई,
 
चलती राह पर जो दोस्ती डगमगाई,
 
याद है आज भी वो बच्पन के दिन खेले,
 
छोटी छोटी बात पर जिन्दगी मुस्कुराई |

है रिश्ता आज भी अज़ीज़ मुझे,
तबी सब साथ होते भी महसूस होती है तन्हाई ||

उस  दिन जब मिले हम रास्ते पर जाते,
कर मुझे नज़रंदाज निकल गए मुस्कुराते ,
मैं जानूँ थे कितना खफ़ा तुम मुझसे,
जो होती बात आज तुमसे तो कुछ बताते ||

हालत  शायद थे बन गए ऐसे, जो गयी ना बात सुनाई,
तबी सब साथ होते भी महसूस होती है तन्हाई ||

 उस दिन भी जब मिले हम बस में,
 
थी आरज़ू मेरी तुमको बुलाने की,
 
चाहे बैठा था पास तुम्हारे ,पर ना हिम्मत हुई थी कुछ समझाने की,
 
शायद  मन बैचन कर रहा इन्तेजार रास्ता गुजर जाने की |

 
ऐ खुदा क्या कहूँ तुझे कैसी थी ये हालत बनाई,
 
तबी सब साथ होते भी महसूस होती है तन्हाई ||



हूँ गुनाहगार मैं और दो रिश्तों का,
कैसे  चुकाऊंगा मोल फरिश्तों का,
दिया बहन सा प्यार और माँ की सीसों का,
माफ करना जो डोला घड़ा उम्मीदों का |

सच बोला जो मिटे ना यह रिश्तों की  गहराई

सच रहना साथ सदा ना हो महसूस तन्हाई ||



अंत मैं ये कहता हूँ सच है मेरे हर रिश्ते में,
मगर  फिर भी दुखाया दिल जो मैंने करना माफ मुझे,
जाने अनजाने में जो हुई गलती, ना कहना बेईमान मुझे,
हर रिश्ते पर खरा आप पाओ मुझे बस यह ही है फरियाद खुदा तुझे ||



© Viney Pushkarna

pandit@writeme.com

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