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Barish

बाहर है बारिश, और दिल में सोखा,
क्या करें पंडित, क्या मेरा होगा ?
एक जान है दूर, क्या मुस्कान का होगा,
यो ही शूट जायेंगे पल, मुकाम ये होगा ।

 बाहर है बारिश, और दिल में सोखा ।।

 मैं आखिर हूँ इंसान, जो खोने पर रोएगा,
खुदा जाने क्या, गुलिस्तान का होगा ।
चाँद यादों के सिवा, मिलता कोई न,
 अब तो मिल जा आ गले, होने दे जो होगा ।

 बाहर है बारिश, और दिल में सोखा ।।

वो दिन सताएं हैं, मुझे देख तू आजा,
कैसे तडपाऐ मुझे, मलहम लगा आ ,
टूट टूट बिखरा हूँ मैं, मुझमे समा जा,
गुलिस्तान में फूल खिले, जग रौशन बना आ ।

तेरी यादों के संग मैं चलता रहूँगा,
जिस जिस ने लूटा, मैं ढलता रहूँगा ।
जो आई मौत तो भी, खुछ न कहूँगा,
बस तेरा नाम, ही तेरा नाम पास रखूँगा ।

 बाहर है बारिश, और दिल में सोखा ।।

© Viney Pushkarna
pandit@writeme.com
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