सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे,
जिंदगी में थी, है, ओर रहेगी रिश्तों की, अज़ीज़ महक मुझे |
ये सच है कि, बयान करना नामुमकिन है एक नारी को,
पर सच तो ये है तूने जला दिये, राह रौशन है किए ||
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
फूल की एक पंखुड़ी खिलती है जब बगीचे में,
देखो वो नन्हीं पारी खींचे है, अपने पीछे हमे |
वो गुडिया हमारी जिंदगी की पहचान बन जाती है,
हमे पता ही नहीं चला वो हर भाई की मुस्कान बन जाती है ||
उस पर लिखने के लिए ऐ शिवा चंद सतरें मिल जाएँ मुझे,
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
पहले एक पंखुड़ी भाइयों की मुस्कान बनी,
फिर बेटी बन भाई के माथे की शान बनी |
दोस्त बन बाँटें खुशियाँ, हमदर्द माँ के समान बनी,
जब जब टूट गिरा फर्श पे, वो “पंडित” की चलती सांस बनी ||
है दुआ मेरे मालिक सब हस दे उसकी एक मुस्कान पे,
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
बड़ी बहन मुनिषा, रुची माँ का रूप जल्काए,
प्रतिभा बन् दोस्त पंडित डूबे पलों को तैराए |
तमन्ना मेरी बेटी जैसी मुझको बड़ा हसाए,
मिलकर बहनों को एक साथ चलता समां भी ठहर जाए ||
इस राह की मंजिल जिंदगी रहे रौशन सितारों से,
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
रात सुनहरी सुलाये, देख रोहिणी क्या बताये,
एक जीत कदम बढाए है, पंडित को हर पल उठाये |
बड़ा कदम बड़ा कदम तनु है सुनाये,
रिश्तों में एक महक जैसे हीना जिंदगी सजाये ||
इन अपनों संग बांटे पल, सदा ही याद आयें मुझे,
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
एक बहन रश्मि दत्ता, जो हस गुल्ले है खिलाये,
एक से एक मिले जो तो सारा जहाँ महक ये जाए |
एक ही है जिंदगी में रौशनी, बाकि सारी बहन कहलाएं,
इन बहनो की जिंदगी में होंद ही जीवन को महकाए ||
रंग इनकी मुस्कान का कर देता है मगन मुझे,
सियाही की गुलाम कलम, ये क्या बयान करेगी बहन तुझे.....
![]() | © Viney Pushkarna |
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