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Pani Hai Anmol

यूं जन्मा मैं कुदरत की कोख़ से,
गुज़रा हूँ मैं हर एक शोर से ।
मैं पौधों, जीव और गगन में हूँ,
मेरा ही अस्तित्व है उपचार आरोग्य में ।।

यूं चलना मेरा काम, और राह पुरानी है,
पानी है अनमोल, यह पानी की कहानी है ।

गंगा, यमुना, सरस्वती कई नाम हैं वेदों में,
पृथ्वी जन्म से बहता हूँ कितने ही भेसों में ।
कभी उड़ उचाईयां छूता हूँ, बरसता हूँ पहाड़ों पे,
मेरी ही है होंद यह, मैं एक हज़ारों में ।।

मन शीतल, तन स्वच्छ करे मेरी धार गुणवाली है,
पानी है अनमोल, यह पानी की कहानी है ।

बुखार में हूँ ताप निवारक, शरीर से मल अमल हटाता,
फल फूलों में रस बनू मैं, जन जीवन की भूख मिटाता ।
मैं ही इस तन में दौडूँ, लाल रंग का खून कहलाता,
मैं ही हूँ जो दूध बन, माँ के स्तन से अमृत बहाता ।।

मेरी यह व्याख्या विशेष, आज पंडित की ज़ुबानी है,
पानी है अनमोल, यह पानी की कहानी है ।

बड़ी कोमल है काया मेरी, पर बना सदा छाया तेरी,
बेकदर हुआ मैं फिर भी, बच आई अब रात अँधेरी ।
दे दे मुझे रासायनिक खाधें, मेरी आत्मा करदी ढेरी,
तेरा दिया ही अब लौटे तुझको, पहले सुनी न एक बात भी मेरी ।।

अब भी समझो यारो, क्यों जिंदगी गवानी है,
पानी है अनमोल, यह पानी की कहानी है ।

बन हमदर्द मुझे ले बचा, ज़हर रसायन की न भेंट चढ़ा,
माँ कह पूजें मुझको सतयुग से, न आँचल अब दाग लगा ।
लिख दर्द तुही अब पंडित, आन मेरा अस्तित्व बचा,
तू तो चिकित्सक ठहरा, तो चल थोडा ज्ञान फैला ।।

लिख पंडित तुझे ही आज मेरी महत्वता बतानी है,
पानी है अनमोल, यह पानी की कहानी है ।

 पानी अनमोल है न फजूल बहाओ, जो मिला वरदान न यूं गवाओ,
पकड़ कलम मैंने तो लिख दिया, जान ज्ञान अब तुम अपनाओ ।

Don't Waste Water. It's Precious.

© Viney Pushkarna
pandit@writeme.com
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