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Ithasik Panne

आज इतिहास के पन्नों को टीटोला जो,
लिखा है जीवन का हर लम्हां है बोला जो।
बच्पन से लड़कपन तक जो दोस्त बन कर आती थी,
साल में कभी कभी एक मुलाकात हो जाती थी।
उसके संग राजा रानी खेला खेल निराला था,
न जाने मैं उसको दिल ही दिल मे चाहने वाला था।
हुई बात जब होश संभाला उसने नाता तोड़ दिया,
मैं न जानती ऐसा कहकर बीच मज़दार छोड़ दिया।
टूटा रिश्ता दिल न माना, न जाने उसने क्यों किया,
दिल टूटा पर तोहमत न लगाई, नारी से मुख मोड़ लिया।


कुछ वर्षों में न जाने एक दिन, कैसा जीवन मोड़ लिया,
प्रेम आंगन में, मेरे लिए एक और नाता जोड़ दिया।
उसको अपनाने से दिल बहुत घबराता था,
एक पुरानी चोट दूसरा एक रिश्ता आड़े आता था।
बात करते करते बड़ा समय ऐसे बीत गया,
उसके मासूम चेहरे और प्रेम से मुझे जीत लिया।
दोस्तों जैसे रिश्ते बने, अक्सर मिला करते थे,
मिलने के लिए हम बहाने भी ढूंढा करते थे।
कभी सीमा, कभी बस कभी दूर से देख कर हस्ते थे,
कभी कभी कुछ दिन फोन पर ही निकलते थे।
धीरे धीरे दोस्ती को खास मोहोब्बत का रंग चढ़ा।
आगे बढ़ने से पहले हो शादी का प्रबन्द करा।
आते जाते मिलने हम उनके घर जा पहुंचे,
वो भी बात शादी की ले आंगन आ पहुंचे।
बातों बातों में न जाने क्या रंग चढ़ा,
उनकी हां कहकर घर जा कर नापसंद कहा।
बहुत कोशिश करी तब मैंने खुदको था मलंग किया,
पर कोई गुस्ताखी करी न मैंने जो दिलने न रज़ामंद किया।

उसने की कई बातें, कुछ लोगों ने प्रबन्द किया,
इतना बिगड़ा रिश्ता की मिलना जुलना बन्द किया।
बड़े लोगो ने उकसाया की उसको तुम सज़ा दो,
समाज में ले कर नाम उसका उसको रोने की वज़ा दो।
मैं रोया, चिल्लाया, खुदको नज़रबंद किया।
आस्वाद हुआ जाना कि क्यो यह प्रबन्द किया।
कई यत्न करके उसको मनाना चाहा था,
पर मिलना न मिलना ये खुदा से न लिखाया था।
खुश रहे जैसे भी वो चाहती जीवन मे सदा,
मेरा रोना चाहे थी वो पर मैं ना बनु उसकी यह वजह।

यह सोच कर जीवन मे लड़कियों से नाता तोड़ा था,
हर लड़की को बहन बोलना तबसे ही जोड़ा था।
ऐसे बताते बात करते एक बहन बन कर आई थी,
जिसने बहन का वास्ता देकर पुरानी तस्वीर दिखाई थी।
न जाने कहाँ से पता करके मुझे यह बतलाया था,
वो इंसान है आगे बढ़ गया किसी और को लिया अपनाया था।
धीरे धीरे उस अनजान ने एक और अनजान से परिचय करवाया था,
वो अनजान ही पहिचान से जीवन साथी बन आया है।
बताया सब सच्च जीवन का जब उसने हाथ थामा था,
औरों की जगह न ली अपना अलग ही रिश्ता जोड़ा था।
लोगों के उकासने पर जब मेरा मन भी ढोला था,
बदला लूं कैसे सोचूं मैं कैसे जिसने मुझे छोड़ा था।
पर उस साथी ने बड़े प्यार से मुझे रास्ता दिखाया था,
मुझसे करो प्रेम तो प्रेम ही जानो, क्रोध द्वेष बुलाया था।
बदला ले कर क्या मिलेगा तब समझ मे आया था,
उस साथी प्रेम में तब मैंने जीवन आगे बढ़ाया था।
तीन साल बाद उस साथी को बंदन में बांद लिया,
हम ही जीवन के है साथी यह सत्य पहिचान लिया।
जिस जिस जन ने जीवन मे कभी भी कोई स्थान लिया,
भगवान मंगल करें उनका, सबको मैंने प्रणाम किया।




Writer Pandit

WRITER: PANDIT

VINEY PANIYA PUSHKARNA

Writer Pandit is the alias name of Viney Pushkarna to write his poems and lyrics. Mr. Pushkarna is writing from the age of 14 years when he was reading in school. His all poems and lyrics are based on situations and the environment he feel in his life. and this is the official blog designed and maintained by Nivednaay Team. for @Writer Pandit.

Please note that this board is not created or designed by Mr. Viney Pushkarna himself so you can't contact him from here. This board periodically managed and updated by Team Nivednaay.