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विनय पुष्करणा (पंडित) |
विनय के बारे मे
मेरा नाम विनय पुष्करणा है और मैं पंजाब के माझा क्षेत्र के पनिया पुष्करणा परिवार से हूँ | मेरा जन्म २४ मार्च १९८८ को बटाला में हुआ था | बच्पन्न में मुझे सौरव नाम से भी जाना जाता था जो आज भी कुछ चंद लोगों को पता है | उसके बाद मैंने अपना नाम खुद रखा जब मैं पहली कक्षा में दाखिला लेने गया था और तब से मेरा नाम विनय हो गया | मैं आज भी अपने नाम के जैसे विनम्र स्वभाव का हूँ और मेरी सबसे बड़ी ताकत येही है कि मैं किसी को गली नहीं निकालता |
पंडित नाम कैसे पड़ा?
मेरा नाम पंडित मेरे दोस्तों का दिया हुआ है जो मेरे साथ मेरे पी-जी (पेइंग-गेस्ट) में रहा करते थे | मेरा ये नाम मेरी पूजा पाठ और मेरे आचरण के कारण पड़ा था | हालांकि मैंने पंडित के नाम से लिखना शुरू तब नहीं किया था, मैंने पंडित के नाम से लिखना २००७ के बाद किया था | पर पूर्णता पंडित नाम मैंने २०११ में अपनाया और आज मेरे हर लिखे गीत, कविता में मेरा नाम पंडित ही आता है |
पंडित नाम का सफ़र
पंडित नाम मुझे २००७ में मिला पर यह सिर्फ चंद दोस्तों तक सीमित था |
लिखने का कारण और प्रेरणा
वैसे लिखने कि आदत मेरे बड़े भाई श्री राजन पुष्करणा से मिली पर मेरे लिखने का नजरिया और कारण बिलकुल भिन्न था मैंने लिखना शुरू किया था २००१ में और कारण था समाज का अत्याचार और मैंने लिखने के लिए इसी को अपना आधार बनाया और आज मैं समाज और इन बुराइयों पर लिखता हूँ और मेरी पहचान है कि मैंने कभी कुछ सोच और निश्चय कर नहीं लिखा बल्कि आज के समाज की जब भी कोई ठोकर लगती है तो उस अनुभव से ही लिखता हूँ | और मेरे लिखने का कारण समाज को उसकी बुराइयों के बारे में बताना |
शिक्षा
मेरी शुरूआती शिक्षा "दया नन्द मॉडल स्कूल" में हुए जिसका नाम बाद में बदल कर "दया नन्द ऐंग्लो वैदिक स्कूल " कर दिया गया | उसके बाद मैंने सातवीं में "आदर्श विधिया मंदिर" में दाखिला लिया यहाँ मैंने अपनी हाई क्लास की | फिर मैंने "श्री गुरु नानक देव सी. सैक. स्कूल" से सी. सैक. की और आगे उच्च शिक्षा "प्राकृतिक चिकित्सा" में ली | आज मैं एक चिकित्सक हूँ तो कई लोग मुझे डॉ पुष्करणा से भी जानते हैं |
व्यवसाय
व्यवसाय से मैं एक चिकित्सक हूँ मैंने प्राकृतिक चिकित्सा में एवं योग में शिक्षा ग्रहण की है और आज कल प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली में अनुसंधान हेतु अपने "पुष्करणा रिसर्च अस्सोसीऐशन फार नैचुरल ऐड" में काम कर रहा हूँ |
उपलब्धि
मैंने कई प्रकार की कोशिशें की है लोगों को बेहतरीन जीवन देने की जिसमे मेरे कुछ उपचार इस प्रकार है जोड़ों का दर्द, उच्चरक्तचाप, निम्न्-रक्तचाप, मोटापा आदि इसके इलावा मैंने एक स्वास्थ्य पुस्तक भी लिखी है जिसका नाम है " क्लीनिकल योग १ " | एक लेखक के तौर पर मैंने अभी तक ३ पुस्तकें लिखी हैं "फैक्ट ऑफ़ लाइफ थ्रो इमाजिनेशन'स लाइट" , "जुबान" और "संघर्ष" |
शौंक / पसंद
मुझे बेडमिनटन और शतरंज खेलना पसंद है और कभी कभी वेब डिजाईन भी करता हूँ | इसके इलावा दोस्तों के साथ और परिवार के साथ समय बिताना और उनसे बातें करनी पसंद है | साइकल रेस लगाना पसंद है | संगीत में अच्छे विचारों को लिखना पसंद है | लोगों की मदद करना मेरा शौंक है |

मैं केवल गीत, कविताएँ ही नहीं लिखता मैं आज के समाझ को देखते हुए उन पर लेख भी लिखता हूँ पर मैंने कभी वो लेख अपने लिए नहीं लिखेसब अपने दोस्तों को उनके अभिनय के लिए लिख कर दिए हैं | आने वाले समय में मैं ऐसी एक किताब लिखना चाहूँगा जो हमारे समाज की बुराइयों को समक्ष लाएगी | अभी अकेला होने के कारण सब दिमाग में है और समय नहीं मिल रहा एक उम्मीद जान से है और कुछ दोस्तों से शायद कभी ये किताब आप सबके बीच होगी |
जान कौन है / क्या है?
जान एक नाम है जो मैंने अर्धांगिनी एवं अपनी कवितायों को दिया है और जिससे मैं बहुत बहुत प्रेम करता हूँ, अक्सर लोग जब मेरी कविता पडतें हैं तो मुझे मेल में लिखते हैं कि पंडित जी इन जान से भी रूबरू कराएँ |
खुली किताब
अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि आप अपने आपको खुली किताब क्यों बोलते हो तो मेरा जवाब है कि मेरी जिंदगी का एक एक पल मेरी इन कवितायों में छिपा है मैं किसी से कुछ छुपाता नहीं और न मुझे कुछ छुपाने की आदत है मेरे बारे में हर एक बात पुर्णता साफ़ एव सपष्ट है , इसी लिए मैं एक खुली किताब हूँ |
समाजिक जीवन
अक्सर कई लोग मिलतें हैं और मुझसे पूछते हैं आप तो ब्राह्मण हो और आप किन कामों में लगे हो आपको ये सब शोभा नहीं देता | कुछ लोग पूछते हैं के आप अपने आप को निष्पक्ष बोलते हो तो आपने ब्राह्मिन फ़ोर्स का निर्माण क्यों किया ? उनके सब के लिए मैं एक समाज सेवक हूँ और सारे मेरे भाई बंधू हैं कहते हैं की अगर समाज की बुराइयों को दूर करना है तो पहले शुरुआत खुद से करनी चाहिए तो इसी लिए मैनें ब्राह्मिन फोर्स का निर्माण किया इसके साथ साथ मैंने 'मस्ट थिकं' में भी काम किया है जिसमे हम समाज की बुराइयों को सामने लातें हैं | मेरे लिए ब्राह्मिन, सनातन और भारत तीनो मेरे अपने हैं और मुझे ही इन्हें ऊपर ले कर जाना है, इसी कोशिश में मैं अपना समाजिक जीवन व्यतीत करता हूँ कि मेरे समाज में छुपी बुराइयों का अंत कर पायें |
जातिवाद
अक्सर लोग मेरे ब्राह्मण लिखने पर बोलते हैं कि मैं जातीवादी हूँ तो मैं आपको बता दूं मैं किस ब्राह्मण कि बात करता हूँ मेरे नजरिये में ब्राह्मन, क्षत्रिय, शुद्र और वैश्य कोई जात है ही नहीं ये तो इंसान के गुण होते हैं जो हमारे वेदों में भी लिखा है | मैं ब्राह्मण नहीं पर बनने की कोशिश करता हूँ | और इसी लिए मेरे दोस्त सभी वर्णों से हैं |
क्रोध / सोच
क्रोध एक ऐसा भाव है जो हर किसी में होता है और मुझमे भी है वो बात अलग है कि मैं अपने क्रोध को जायदा तर हावी नहीं होने देता पर जब आता है तो शांत करना मुश्किल होता है | जैसे मैंने पहले बताया कि मैं जातिवादसोच नहीं रखता परन्तु अगर कोई वर्णों को जाति मान कर ब्राह्मण, सनातन को बुरा कहता है तो उसका जवाब मेरा उस व्यक्ति को जरूर मिलता है | क्यों कि मैं कभी पहले वार करता नहीं पर किसी को दूसरा वार करने नहीं देता |
सभ्यता / विचार
मैं किसी सभ्यता का विरोद नहीं करता परन्तु जो सभ्यता हमारी सभ्यता को ख़तम करे उससे नफरत करता हूँ | लोगों का कहना है मैं पच्श्मी सभ्यता को पसंद नहीं करता तो उनको जवाब मैं किसी सभ्यता को बुरा नहीं कहता उनके यहाँ जो है उनके मुताबिक सही होगा परन्तु हमारी पहचान हमारी सभ्यता है शिष्टता, श्लीलता है | और मैं कुछ ऐसा नहीं लिखता जो हमारी सभ्यता को हानि पहुंचाए |
प्रेम, संस्कार, सभ्यता एवम् विचार
आज कुछ लोग प्रेम के उलट चलते हैं और कहते हैं कि ये प्रेम बाहर से आया और कुछ कहते हैं कि प्रेम उनके बच्चों को बिगड़ देगा तो उन्हें इन सबसे दूर रहने को बोलते हैं और मुझे हसीं आती है यह वोही लोग है जो सुबह शाम राम. कृष्ण, शिवा, गौरी, तुलसी, राधा आदि की पूजा करते हैं |यह अज्ञान हैं की प्रेम गलत है बस गलत है कि हम अपने बच्चों को सही शिक्षा नहीं देते प्रेम का सही पाठ नहीं पढाते और इलज़ाम दूसरी सभ्यता पर लगाते हैं पहले अपनी सभ्यता तो बच्चों को सही तरह बतायो फिर गलत हों तो दोसरी सभ्यता का दोष बोलो | प्रेम की शुरुआत ही सनातन है और सनातन विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है |
खुली किताब 'पंडित' आपके पास
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