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Ashq

 आज दिन पांच हुए, उनसे बात हुई,

देखा था उनको एक बार, चल रही थी खोई खोई |

लाल सूट था पहना, जुल्फें थी उल्जी हुई,

चाहा था बात करना, पर बातें थी सुल्जी हुई ||



कैसे कहें शिवा की, क्या हम ये सह रहे हैं,

पूछे विनय ये खुदा, कियों अश्क बह रहें हैं....



कर हिम्मत बोला सच, घर अपने मैंने,

शायद उनके तोड़ दिए, सब सपने मैंने |

आज शुरू कर लिए, लफ्ज़ रटने मैंने,

उस मालिक को दिए, नाम जपने मैंने ||



दे आवाजे खुदी को, सुन खुदा क्या कह रहे है,

पूछे विनय खुदा, कियों ये अश्क बह रहें है ...



किया जो वादा साथ निभाने का, तोड़ेंगे हम,

हुए दूर तो संग तेरी यादों, रिश्ता जोडेंगे हम |

देख आज भी खड़े है उन्हीं राहों पर हम,

हो साथ तुमारा तो, हाथ कभी छोड़ेंगे हम ||



जाने कैसे कहें की, किन राहों पर रह रहें हैं,

पूछे विनय खुदा, कियों ये अश्क बह रहे हैं ...



जानू के किस कदर मोहोबत करते है आपसे,

मिटा देंगे हर गम, बस आपके साथ से |

देख लेना साथ देंगे हम कर कदम पर तुमारा,

हम आगे बढेंगे अपनी कर ऊंची औकाद से ||



जो गिरे नीचे सोचना कि हौंसले ढह रहे हैं,
पूछे विनय खुदा, कियों ये अश्क बह रहे हैं ...



© Viney Pushkarna

pandit@writeme.com

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